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गुरुद्वारे में नहीं जगमगाएंगे दीप, 1984 का मातम दिवाली पर छाया


दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका और महासचिव जगदीप सिंह काहलों ने घोषणा करने के साथ ही सिख लोगों से दीपावली नहीं मनाने की अपील भी की हैं।


Sikh Gurdwara: भारतवर्ष के हर कोने में दीवाली का पावन पर्व मनाया जाता है मगर इस बार सिखों के गुरुद्वारे में दीवाली के दीये नहीं जगमगाएंगे। इसके पीछे की भी एक बड़ी वजह उन्होंने बताई है इसके साथ ही दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका और महासचिव जगदीप सिंह काहलों ने घोषणा करने के साथ ही सिख लोगों से दीपावली नहीं मनाने की अपील भी की हैं।

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आखिर क्यों नहीं मनाएंगे सिख दीवाली

बताते चले कि गुरुद्वारे में सिखों से दीपमाला नहीं करने की अपील करते हुए 1984 का मातम का जिक्र किया है और दिवाली ना मनाने की अपील की है। वहीं दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने फैसला लिया है कि दिवाली पर गुरुद्वारों में दीपमाला नहीं करेंगे, समिति ने सिखों से अपील की है कि इस बार वो घरों में भी दीपमाला ना करें। दरअसल हर साल 31 अक्टूबर से 2 नवंबर तक 1984 के सिख नरसंहार के शहीदों को नमन किया जाता है। क्योंकि इस बीच सिख समुदाय नरसंहार के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं। मगर इस साल दिवाली का पर्व इन्हीं दिनों में पड़ रहा है जिसके चलते गुरुद्वारों और घरों में दीपमाला न करने का सिखों ने निर्णय लिया गया है।

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उन्होंने कहा कि इस वर्ष इन दिनों बंदीछोड़ दिवस/दिवाली का त्योहार आया है। इसलिए हमने फैसला किया है कि इस साल दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के अधीन गुरुद्वारों में दीपमाला का आयोजन नहीं किया जाएगा।

1984 सिख नरसंहार के शहीदों को श्रद्धांजलि

हर साल 31 अक्टूबर से 2 नवंबर के बीच सिख समुदाय 1984 के सिख नरसंहार में शहीद हुए अपने प्रियजनों को श्रद्धांजलि अर्पित करता है। यह समय उनके लिए गहन संवेदना और दुख का होता है। इसी परंपरा के तहत समिति ने इस वर्ष दीपावली पर भी गुरुद्वारों में किसी तरह की दीपमाला न करने का फैसला किया है, ताकि सिख समुदाय अपने शहीदों को नमन कर सके।

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सिख नरसंहार की स्मृति

आपको बताते चले कि सन् 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों में हजारों निर्दोष सिख मारे गए थे, यह दर्दनाक घटना सिख समुदाय के लिए एक कड़वी याद बन चुकी है। इस दिन को स्मरण करते हुए सिख समुदाय अपने शहीदों की याद में मौन रखता है और संयम का पालन करता है। इसलिए दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति द्वारा दीवाली ना मनाएं जाने का निर्णय लिया गया जिसका उद्देश्य सिख समुदाय में एकजुटता और एकता का संदेश देना है।

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