जानें नवरात्रि का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि, और करें नववर्ष पर मां भवानी का स्वागत
चैत्र नवरात्र के दिन पूजा करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और शुभ मुहूर्त में पूजा विधि का शुभाम्भ
नवरात्रि 2024: आज के दिन माता का नवरात्रि महोत्सव शुरू हो गया है, सभी वर्ती लोग अपने घरों में कलश स्थापन करते है, पूजन करते है, मंत्र का जाप करते है और माता को प्रश्न करते है। माता की पूजन और कलश पूजन का शुभ समय सुबह 8 बजे रेवती नक्षत्र में पंचक रहेगा। उसके बाद अश्वनी नक्षत्र मेष राशि में नया संवत्सर पिंगल शुरू होगा। जिसके बाद सभी लोग अपने- अपने घरों में ध्वज पताका बंदनवार से घर को सजायेगें और उत्सव मानकर नए वर्ष का स्वागत करेगें।
जानें क्या है नवरात्री की मान्यता
इसके साथ ही माता भगवती का आवाहन पूजन के साथ अपने-अपने ईष्ट का पूजन दर्शन करके नया वर्ष की शुरूआत करेंगे। मान्यता है कि देवी भागवती के अनुसार दुर्गा ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश के रूप में सृष्टि का सृजन, पालन और संहार करती हैं। भगवान शिव के कहने पर रक्तबीज शुंभ-निशुंभ, मधु-कैटभ आदि दानवों का संहार करने के लिए देवी पार्वती ने असंख्य रूप धारण किए किंतु देवी के प्रमुख नौ रूपों (मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री) की पूजा-अर्चना नवरात्री के यह पावन नौ दिन की जाती है।
जानें पूजा विधि
चैत्र नवरात्र के दिन पूजा करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और शुभ मुहूर्त में पूजा विधि का शुभाम्भ करें, इसके लिए पहले मंदिर की सफाई करें। मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। अब मां दुर्गा का सोलह श्रृंगार करें और फूल, माला, पान पत्ती अर्पित करें।
इसके बाद एक कलश लें और उसे आम के पत्तों से सजाएं, कलश के चारों तरफ लाल पवित्र कलावा बांधें, फिर उस कलश पर नारियल स्थापित करें। अब दीपक जलाकर आरती करें और सच्चे मन से दुर्गा सप्तशती पाठ का पाठ करें और मां दुर्गा को फल और मिठाई समेत आदि चीजों का भोग लगाएं। अंत में लोगों में प्रसाद का वितरण करें और खुद भी ग्रहण करें। इसके बाद उन्हें हलवा, रबड़ी या मावा का भोग लगाएं। भोग में फल भी शामिल कर सकते हैं।