नवरात्रि के पहले दिन करें देवी शैलपुत्री की आराधना, बरसेगी मां की महिमा
देवी शैलपुत्री का नाम का अर्थ है शैल मतलब पहाड़ और पुत्री का मतलब बेटी होता है कि यानी की हिमालय के राजा हिमवान और रानी मैनावती की बेटी मानी जाती है
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देवी शैलपुत्री: नवरात्र के पहले दिन में देवी शैलपुत्री का होता है, जिन्हें मां पार्वती का स्वरूप भी माना गया है। जैसा कि आप सभी जानते है कि नवरात्र के दिनों में देवी नौ रूपों की पूजा होती हैं, हिन्दू धर्म में माना जाता है कि देवी दुर्गा के नौ रूपों में से एक रुप देवी शैलपुत्री का हैं जिनकी पूजा नवरात्र के पहले दिन की जाती हैं।
जानें शैलपुत्री का अर्थ
देवी शैलपुत्री का नाम का अर्थ है शैल मतलब पहाड़ और पुत्री का मतलब बेटी होता है कि यानी की हिमालय के राजा हिमवान और रानी मैनावती की बेटी मानी जाती है, इस लिए देवी शैलपुत्री को प्रकृति, शक्ति और भक्ति का प्रतीक भी माना जाता हैं।
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देवी शैलपुत्री के रुप का वर्णन
वहीं अब हम मां के पहले रुप देवी शैलपुत्री के रुप का वर्णन करें तो देवी की प्रतिमा आमतौर पर एक सुंदर महिला के रूप में वर्णन किया गया है जो वृषभ यानी की बैल पर विराजमान होती हैं, मां के हाथों में त्रिशूल, तीर, और कमल सुसज्जित हैं। जिनका दिव्य स्वरूप है जो शक्ति और ज्ञान का प्रतीक भी हैं।
नवरात्रि की पूजा विधि
नवरात्रि के पहले दिन घर की सफाई करें पूजा स्थल की सफाई करें और देवी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। इसके साथ उपवास रखने की परंपरा है। इसे लोग अपनी सामर्थ्य अनुसार रखते हैं। वहीं कुछ लोग अपने सामर्थ के अनुसार व्रत के साथ कलश की स्थापना भी करते हैं और पूजन में फूल, फल, कुमकुम, दीपक, नैवेद्य आदि का प्रयोग करें इसके साथ ही माता को वस्त्र अर्पित करें और श्रृंगार चढ़ाएं। इसके बाद दुर्गा स्तुति और लौंग कपूर से आरती करें।
देवी शैलपुत्री की भक्ति भाव से जो पूजा करता है उन सभी भक्तों को मां मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करती हैं। देवी की आराधना करने से सकारात्मकता, साहस और आत्मविश्वास मिलता है जिससे भक्त कैसी भी कठिनाइयों का सामना आसानी से कर सकता है जिसकी शक्ति मां प्रदान करती हैं।
कथा:
देवी शैलपुत्री की एक प्रमुख कथा है, कहा जाता है देवी ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। उनकी भक्ति और समर्पण से भगवान शिव ने उन्हें स्वीकार किया और उन्हें अपनी अर्धांगिनी पार्वती के रूप में स्वीकार किया। इसलिए माना जाता है जो भी भक्त देवी शैलपुत्री की आराधना करता है, तो भक्तों को मनोवांछित फल प्राप्त होता है और वे मानसिक और शारीरिक शक्ति से भरपूर होते हैं।
देवी शैलपुत्री की महिमा
1. शक्ति और साहस का प्रतीक
2. भक्ति और समर्पण का प्रतीक
3. प्रकृति और पृथ्वी की माता
4. मानसिक शांति और समर्पण
5. कष्टों का निवारण
6. समाज और परिवार में सद्भाव
7. स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रति