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जानें कब हैं निर्जला एकादशी, और पढ़ें व्रत का शुभ मूहुर्त और कथा

Nirjala Ekadashi 2024: निर्जला एकादशी के व्रत की तिथि और मुहूर्त को लेकर सभी भक्तों के मन में असमंजस की स्थिति बनी हुई है कि आखिर निर्जला एकादशी कब हैं। तो बतादें कि दिनांक 16 जून 2024, दिन रविवार की रात में 2 बजकर 54 मिनट से एकादशी लग रही है। जो दूसरे दिन सूर्योदय से उदयातिथि यानि की सोमवार को एकादशी तिथि, चित्रा नक्षत्र में मनाई जाएगी। जो 17 जून रात 4 बजकर 30 मिनट सूर्योदय से पूर्व तक रहेगी।

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जानें निर्जला एकादशी का महत्व

निर्जला एकादशी को लेकर कहा जाता है यह एकादशी के व्रत करने से सभी 24 एकादशी का फल मिल जाता है। एकादशी के दिन निर्जला व्रत रहा जाता है गंगा आदि पवित्र जल में स्नान करके श्री हरी के मंत्र का जाप किया जाता हैं। मान्यता है कि एकादशी के दिन दान देना करने से मन को शांति मिलती है। इसके साथ नारायण परिवार में सुख शांति प्रदान करते है। व्यक्ति अपने जीवन को सफल बनाने के लिए उत्तम फल देने वाली एकादशी का व्रत करते हैं। इसलिए बतादें कि व्रत रखने वाले एकादशी का व्रत 17 जून को रखें। ज्येष्ठ शुक्ल की निर्जला एकादशी के व्रत करने से धन, समृद्धि, दीर्घायु और मोक्ष का आशीर्वाद मिलता है।

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जानें कैसे रखे यह व्रत तभी मिलेगा फल

हिंदू धर्म के अनुसार निर्जला एकादशी के व्रत से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थ की प्राप्ति होती है। लेकिन इस व्रत का फल तभी मिलता है, जब इसे पूर्ण विधि और नियम अनुसार किया जाए। मान्यता है कि सभी एकादशी में निर्जला एकादशी को सबसे कठिन माना जाता है, क्योंकि इसमें अन्न के साथ ही जल का भी त्याग करना पड़ता है। पौराणिक व धार्मिक कथाओं के अनुसार भीम को भी मोक्ष और दीर्घायु का वरदान इसी व्रत करने से मिला था। इसलिए इसे भीमसेन एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत में कटु वचन ना बोले, व्रत में क्रोध बचें,  इसके बाद द्वादशी तिथि की सुबह व्रत का पारण करें। इससे भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है।

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निर्जला एकादशी व्रत कथा

निर्जला एकादशी व्रत कथा को लेकर पौराणिक कथाओं की मानें को भीमसेन अपने भाइयों में से भोजन का अधिक प्रेमी था। उन्होंने वेद व्यास को बताया कि उसके सभी भाई भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी का व्रत करते हैं, लेकिन मेरा भाई (भीमसेन) लिए हर महीने में 2 बार एकादशी व्रत करना बेहद कठिन होता है।

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इस के बाद भीमसेन ने वेद व्यास से पूछा कि कोई ऐसा व्रत बताए, जिसे करने से स्वर्ग की प्राप्ति हो जाए। इसके जवाब में वेद व्यास ने कहा कि ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी व्रत को करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस व्रत में जल का भी सेवन नहीं किया जाता है। इसके बाद भीमसेन ने निर्जला एकादशी व्रत किया। इसी वजह से निर्जला एकादशी को पांडव एकादशी और भीमसेनी एकादशी के नाम से जाना जाता है।

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