ज्योतिष ज्ञान में सीखें ज्योतिष: जानें क्या है कुंडली में सबसे महत्वपूर्ण भाव
ज्योतिष ज्ञान: राम राम जी जैसा कि आप सभी जानते है कि हम हर हफ्ते के ज्योतिष ज्ञान आप सभी के लिए ज्योतिष से जूड़े विशेष ज्ञान कुछ ना कुछ लाते हैं ठीक हर हफ्ते रविवार की तरह ज्योतिष ज्ञान में वृद्धि के लिए आज ज्योतिष ज्ञान का विषय है कि कुंडली में सबसे महत्वपूर्ण भाव कौन सा है।

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कुंडली में सबसे महत्वपूर्ण भाव
ज्योतिष ज्ञान में वृद्धि के लिए पिछले सप्ताह में सिखा सभी बारहों भाव में भावेश का फल क्या हैं। वहीं आज का विषय है कुंडली में सबसे महत्वपूर्ण भाव कौन सा है, बतादें कि केंद्र और त्रिकोण का संबंध मनुष्य को रंक से राजा बना देता है जाने उसका संबंध क्या है।
परासर ऋषि ने लिखा है फल दीपिका नामक ग्रन्थ में एक पांच नौ का संबंध केंद्र और त्रिकोण जब आपस में युक्ति करते है तो स्व गृही या मित्र गृही या उच्च गृही होकर तो मनुष्य रंक से राजा बन जाता है।
जाने उसका विस्तार केंद्र जो मनुष्य स्वयं होता है। उसका संबंध मनुष्य का रूप, रंग, बात-चित, जिम्मेदारी लेना, नेतृत्व करना अर्थात जो कुछ होता है उसका संबंध लग्न से उसमें बैठे हुए ग्रह से या उसपर दृष्ट किए ग्रह से जाना जाता है।
दूसरा भाव पंचमं अर्थात पांचवां स्थान विद्या बुद्धि संतान पूर्व जन्म के संबंध से जाना जाता है। यह किसका घर है उसपर किसकी दृष्ट है उच्च का या नीच का मित्र का घर है या शत्रु का घर है इसपर किसकी दृष्टि है वह क्या करेगा आदि का विचार किया जाता है।
तीसरा भाव नवमं भाव भाग्य का भाव पिता का धर्म का भाव होता है। वह घर किसका है मित्र का शत्रु का उसपर किसकी दृष्ट है उच्च गृही या स्वगृही है उसका विचार किया जाता है।
तो जाने लग्न भाव, पंचमं भाव, भाग्य भाव, जब आपस में एक दूसरे से युक्ति करते है और तीनों एक दूसरे के मित्र गृही या स्वगृही है या उच्च गृही होकर संबंध रखते है केंद्र त्रिकोण का परस्पर मिलन होता हैं। तो प्रबल राजयोग बनता है मनुष्य रंक से राजा बन जाता है।
ऐसा परासर आदि ऋषियों का कथन है और हमारा 40 वर्ष का अनुभव कुंडली देखने का है। जहां हजारों के संख्या में कुंडली देखा गया है वहां पर राज योग केंद्र त्रिकोण का संबंध वाली कुंडली का अनुभव बता रहे हैं।
