HIV/AIDS के मरीजों को जल्द मिलेगा छुटकारा, वैज्ञानिकों ने खोज निकाला ईलाज
वैक्सीन लेनकापाविर इंजेक्शन को लेकर वैज्ञानिकों ने कहा- साल में दो बार लगाए जाने वाले इस इंजेक्शन की मदद
Treatment of HIV/AIDS: दुनिया भर में HIV/AIDS के मरीजों के लिए बड़ी राहत और खुशी की खबर सामने आई है। क्योंकि अब HIV/AIDS के मरीजों इस गंभीर जानलेवा बीमारी से मुक्ति मिलने वाली हैं। बताते चले कि वैज्ञानिकों ने HIV को ठीक करने वाले इंजेक्शन ट्रायल में सफलता पा ली है। इस वैक्सीन का नाम लेनकापाविर है।
बतादें कि वैक्सीन लेनकापाविर इंजेक्शन को लेकर वैज्ञानिकों ने कहा- साल में दो बार लगाए जाने वाले इस इंजेक्शन की मदद से महिलाओं को एचआईवी के संक्रमण से बचाने में मदद मिलेगी। वैज्ञानिकों ने दक्षिण अफ्रीका और युगांडा में 25 स्थलों पर 5,000 लोगों पर किया गया जिसमें महिलाओं और किशोरियों के ऊपर इस इंजेक्शन का ट्रायल किया था जिसका परिणाम 100 % सफल रहा है। वहीं वैक्सीन लेनकापाविर दवा को बनाने वाली अमेरिकी कंपनी गिलियड ने कहा- वो इस दवा के इस्तेमाल की परमिशन लेने से पहले पुरुषों पर हुए ट्रायल के परिणाम का इंतजार कर रही है।
आईये जानें HIV/AIDS के नुकसान
HIV/AIDS एक ऐसी बीमारी है जिससे दुनिया भर में कई मरीज जूझ रहे है। जिसके चलते मरीजों को कई बार जान से हाथ धोना पड़ता हैं। वहीं खबरों से मिली जानकारी की मानें तो इसका ईलाज अब मिल गया हैं जिसकों लेकर वैज्ञानिकों ने HIV को ठीक करने वाले इंजेक्शन (HIV Medicine) का सफल ट्रायल होने का दावा किया है। आपको बताते चले कि HIV एक गंभीर संक्रामक बीमारी है जो व्यक्ति के इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देता है, जिससे व्यक्ति की जान तक जा सकती है। वहीं वैज्ञानिकों का दावा है कि साल में वैक्सीन की 2 डोज AIDS के उपचार में मददगार साबित हो सकती है। बता दें कि ये सभी दवाएं प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस (रोग निरोधक) दवाएं हैं।
दोनों टीकों दाम सुन हो जाएंगे हैरान
अमेरिकी फार्मास्युटिकल दिग्गज कंपनी गिलियड (Gilead) ने एचआईवी की बेहद असरदार एंटीरेट्रोवायरल लेनाकापाविर (Lenacapavir) तैयार की है। इस दवा को एचआईवी के खिलाफ लड़ाई में गेम-चेंजर के रूप में देखा गया है। इसे साल में दो बार टीके के रूप में दिया जाता है, लेकिन अभी यह दवा बहुत महंगी है। जो आम आदमी की पहुंच से बाहर है। क्योंकि जैसा कि आप सभी जानते है कि इसके ईलाज के लिए मरीज को दो टीका लगाएं जाएंगे मगर दोनों टीकों की खुराक की कीमत 40,000 डॉलर (लगभग साढ़े 33 लाख रुपये) है। बताते चले कि वर्तमान में अमेरिका, फ्रांस, नॉर्वे और ऑस्ट्रेलिया सहित कई देशों में एचआईवी के उपचार पर मरीजों को हर साल 40,000 डॉलर से अधिक का खर्च करने पड़ते हैं।
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शोधकर्ता ने दी वैक्सीन की जानकारी
ब्रिटेन के लिवरपूल विश्वविद्यालय के एक शोधकर्ता एंड्रयू हिल ने बताया कि यह वैक्सीन एक टीका लगाने जैसी है।इस नई रिचर्स को एंड्रयू हिल ने म्यूनिख में आयोजित अंतरराष्ट्रीय एड्स सम्मेलन में प्रस्तुत किया,रिसर्च में देखा गया कि अगर दवा निर्माता गिलियड (Gilead) ने सस्ते जेनेरिक (Generic) इंजेक्शन के निर्माण की अनुमति दी तो दवा बनाने की लागत कम हो सकती है।
एंड्रयू हिल ने कहा कि यदि यह दवा एचआईवी से संक्रमित होने के अधिक जोखिम वाले लोगों – जैसे समलैंगिक या बायसेक्सुअल, यौनकर्मियों, कैदियों या विशेष रूप से अफ्रीका में युवा महिलाओं को दी जाती है तो यह मूल रूप से एचआईवी संक्रमण को बंद कर सकती है और हम वास्तव में महामारी को कंट्रोल कर सकते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन एचआईवी संक्रमण पर की रिसर्च
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, पिछले वर्ष 13 लाख नए एचआईवी संक्रमण हुए, जबकि लगभग 4 करोड़ लोग इस वायरस के साथ जी रहे हैं। नए शोध की घोषणा संयुक्त राष्ट्र एड्स प्रमुख विनी बयानीमा द्वारा गिलियड से संयुक्त राष्ट्र समर्थित मेडिसिन पेटेंट पूल में लेनाकापाविर को खोलकर इतिहास बनाने के आह्वान के एक दिन बाद की गई, जो निम्न और मध्यम आय वाले देशों में लाइसेंस के तहत जेनेरिक दवाओं को बेचने की अनुमति देगा।