जानें कैसे हमारे देश में आया संविधान, कौन है इसका जनक ?
जिस देश का संविधान इतना बड़ा हो कि उसे बनने में 2 साल 11 माह 18 दिन का समय लगा हो, ऐसे संविधान के निर्माण की कहानी बेशक दिलचस्प होगी। संविधान यानी की श्रेष्ठ विधान यह एक ऐसा दस्तावेज है जो व्यक्ति और राष्ट्र के बीच उसके संबंधों को स्पष्ट करता है किसी भी लोकतांत्रिक देश की अवधारणा उसमें रह रहे व्यक्तियों के स्वतंत्रता पर टिकी होती है ,और जो यह दस्तावेज उसी राज्य और व्यक्ति के बीच में संतुलन को स्थापित करने के लिए बनाया जाता है वही संविधान है।
संविधान : जिस देश का संविधान इतना बड़ा हो कि उसे बनने में 2 साल 11 माह 18 दिन का समय लगा हो, ऐसे संविधान के निर्माण की कहानी बेशक दिलचस्प होगी। संविधान यानी की श्रेष्ठ विधान यह एक ऐसा दस्तावेज है जो व्यक्ति और राष्ट्र के बीच उसके संबंधों को स्पष्ट करता है किसी भी लोकतांत्रिक देश की अवधारणा उसमें रह रहे व्यक्तियों के स्वतंत्रता पर टिकी होती है ,और जो यह दस्तावेज उसी राज्य और व्यक्ति के बीच में संतुलन को स्थापित करने के लिए बनाया जाता है वही संविधान है।
जानें कैसे बना संविधान
संविधान के लिए 296 चुने हुए लोग 3 साल का समय 12 सत्र और 167 बैठकों के बाद देश को मजबूत करने वाला एक संविधान तैयार हुआ था इसके बनते ही भारत धर्म, जाति, क्षेत्र, भाषा में बटा हुआ भूभाग नहीं बल्कि एक संप्रभुता संपन्न राष्ट्र बना। संविधान महज एक किताब नहीं बल्कि भारत की आत्मा है।
जानें संविधान से जूड़ी हुई दांस्ता
तो बात है उस समय की जब भारत को महसूस हुआ कि भारत में शासन व्यवस्था को सुदृढ रूप से चलने के लिए नियमों की आवश्यकता है। शासन-प्रशासन के काम की व्यवस्था का जिक्र तो कई वेदों में भी है जैसे कौटिल्य के अर्थशास्त्र, ग्रंथों, पाणिनि के अष्टाध्याई के साथ ही ऐतरेय ब्राह्मण मनुस्मृति आदि।
शायद इसलिए आजादी आंदोलन के दौरान भारत के स्वतंत्रता सेनानियों को भी शासन-प्रशासन के नियमों की कमी जान पड़ी, उन्होंने विचार किया कि इसके लिए एक संविधान सभा का गठन होना चाहिए सन् 1935 में अंग्रेजों ने संविधान सभा की मांग को शांत करने के लिए अपनी तरफ से गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट बनाया पर कांग्रेस ने इसका बहिष्कार कर दिया।
दूसरे विश्वयुद्ध के बाद जब लोगों ने यह महसूस किया कि अब भारत के आजाद होने का समय आ गया है तब संविधान सभा का गठन किया गया इसमें पहले 389 लोगों को चुना गया जो देश विभाजन के बाद 296 हो गए यह सभी लोग देश के ही अलग-अलग स्थानों से ताल्लुक रखते थे और जो कानून के भी जानकारी रखते थे कुछ तो उनमें कानून विशेषज्ञ थे।
संविधान सभा की पहली बैठक
दिसंबर 1946 में संविधान सभा की पहली बैठक हुई और तभी से ही संविधान सभा ने अपना काम करना शुरू कर दिया था। दिन सोमवार तारीख 9 दिसंबर सन् 1946 को सुबह 11:00 बजे संविधान सभा की पहली बैठक हुई जिसे मुस्लिम लीग ने यह कहकर बहिष्कार कर दिया कि उनके लिए अलग देश का गठन होना चाहिए संविधान सभा में कुल 165 बैठकर हुई और इसकी अध्यक्षता कर रहे थे डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद सभा के संवैधानिक सलाहकार के रूप में सर बेनेगल नरसिंह राउ को चुना गया था।
जिन्होंने दुनिया के कई सारे संविधानों के बारे में पढ़ा था और यूके, कनाडा आदि जैसे देशों में जाकर कानून के जानकारों से सलाह मशवरा भी किया था जिसके बाद सन् 1947 में तैयार हुआ था संविधान का पहला ड्राफ्ट जिसके बाद जिसे ना सदस्यीय ड्राफ्टिंग कमिटी को सौंपा गया जिसकी अध्यक्षता कर रहे थे डॉक्टर भीमराव अंबेडकर राहु के द्वारा तैयार किए गए ड्राफ्ट पर कमेटी ने विचार किया फिर 21 फरवरी 1948 में इस कमेटी के अध्यक्ष डॉ भीमराव अंबेडकर ने एक नया ड्राफ्ट संविधान सभा के अध्यक्षों को सौंपा और उस पर सब के विचार मांगा।
इसके बाद इस ड्रॉफ्ट पर बहस शुरू हुई। 1 साल तक संविधान निर्माता ने इसके हर पहलू को जांचा बरखा और उस पर खूब चर्चा हुई की ड्राफ्ट में क्या रखना है क्या नहीं किस में बदलाव लाने की जरूरत है इन सभी बातों का जवाब मिल जाने के बाद 26 नवंबर 1949 में संविधान सभा द्वारा ड्राफ्ट को स्वीकार किया गया और इसी के साथ उसे भारत के संविधान का दर्जा भी मिल गया।
कौन बना संविधान का जनक
इसके बाद 24 जनवरी 1950 को फिर से संविधान सभा की बैठक हुई जिसमें जन गण मन को राष्ट्रगान का दर्जा मिला और वंदे मातरम को भी बराबर सम्मान के साथ राष्ट्रगीत का दर्जा दिया गया। 26 जनवरी 1950 को भारत में पूरी तरीके से संविधान को स्वीकार कर लिया और इसके जनक कहलाए डॉक्टर भीमराव रामजी अंबेडकर संविधान जिसमें प्रत्येक नागरिक के अधिकारों को समझाया गया है जिसमें सभी को सम्मान अधिकार देने का उल्लेख किया गया है।