लोकसभा चुनाव : हमीरपुर सीट का इतिहास और सांसदों के वादे
यूपी के बुंदेलखंड की हमीरपुर लोकसभा सीट चित्रकूट धाम बांदा मंडल का हिस्सा है। वहीं अगर बात करें मौजूदा समय की तो इस समय में इस सीट पर बीजेपी का परचम लहर रहा है। वर्तमान में यहां से कुंवर पुष्पेंद्र सिंह चंदेल सांसद हैं। राजनीतिक रूप से इस संसदीय सीट पर सपा, बसपा, कांग्रेस और बीजेपी चारों पार्टियां जीत दर्ज कर चुकी हैं।
लोकसभा चुनाव 2024 : लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियां तोजी से शुरु हो चुकी हैं, लोकसभा संवैधानिक रूप से लोगों का सदन है साथ ही भारत की द्विसदनीय संसद का निचला सदन है, जिसमें उच्च सदन राज्य सभा है। वहीं लोकसभा चुनाव के मुखिया पद पर सभी की नजरें बनी हुई हैं, मगर देखना यह है कि कौन कितना दांव मारेगा यह तो अभी तय नहीं किया जा सकता हैं।
आपको बताते चले लोकसभा के सदस्य अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक वयस्क सार्वभौमिक मताधिकार और एक सरल बहुमत प्रणाली द्वारा चुने जाते हैं, और वे पांच साल तक या जब तक राष्ट्रपति केंद्रीय मंत्री परिषद् की सलाह पर सदन को भंग नहीं कर देते, तब तक वे अपनी सीटों पर बने रहते हैं। वहीं अगर देखा जाए तो लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की राजनीति की सबसे बड़ी अहमियत होती है, क्योंकि यूपी में बाकी राज्यों के मुकाबले सबसे अधिक यानि की 80 सीटें हैं।
हमीरपुर का रियासती इतिहास
यूपी की 80 सीटों में और भौगौलिक दृष्टिकोण से यह जिला सबसे छोटा जिला हैं। इस जिले का अस्तित्व 1 सितंबर, 1972 मे आया था, और राजा हमीरपुर चंद के शासन काल से जाना जाता है, जिसने 18 वीं शताब्दी में हीरानगर के समीप एक दुर्ग का निर्माण करवाया था, जिसके बाद यह जिला हमीरपुर के नाम से जाने जाना लगा। बताते चले राजा हमीरपुर चंद 1740- 1780 ई. तक कांगड़ा रियासत के शासक रहे थे। हमीरपुर नगर में एक बड़ा तहसील भवन सन् 1888 में बनाया गया। हमीरपुर थाना का भवन, हमीरपुर तहसील भवन ऐतिहासिक संदर्भ इस तथ्य के साक्षी हैं और प्राचीन संस्कृति व इतिहास के गवाह हैं।
वहीं इस नगर की स्थापना की नींव कांगड़ा नरेश घमंड चंद ने 1761-1773 ई. में रखी थी और इनके पौत्र महाराज संसार चंद द्वारा इस नगर को गरिमा प्रदान की। इसी शासन काल में सुजानुपर टीहरा होली उत्सव, व्रज भूमि की होली की प्राचीन संस्कृति आज भी ¨यहां पर मानी-जानी हैं। इन्होंने अपने शासनकाल में कला से पूर्ण मंदिरों का निर्माण किया। इनमें मुरली मनोहर मंदिर, गौरी शंकर मंदिर व नर्वदेश्वर मंदिर प्रमुख हैं।
जिले का पुरातात्विक विकास
यहां पुराण प्रसिद्ध मार्कंडेय ऋषि की मूर्ति स्थापित हैं। टौणीदेवी व अवाहदेवी मंदिर भी हमीरपुर जिला के लिए दर्शनों का स्थान हैं। हमीरपुर जिला प्राचीन सांस्कृति व पुरातात्विक दृष्टि से प्रदेश भर में शिक्षा व विकास के नाम से जाना जा रहा हैं।
हमीरपुर का राजनीतिक सफर
यूपी के बुंदेलखंड की हमीरपुर लोकसभा सीट चित्रकूट धाम बांदा मंडल का हिस्सा है। वहीं अगर बात करें मौजूदा समय की तो इस समय में इस सीट पर बीजेपी का परचम लहर रहा है। वर्तमान में यहां से कुंवर पुष्पेंद्र सिंह चंदेल सांसद हैं। राजनीतिक रूप से इस संसदीय सीट पर सपा, बसपा, कांग्रेस और बीजेपी चारों पार्टियां जीत दर्ज कर चुकी हैं।
आजादी को बाद हमीरपुर लोकसभा सीट पर से अब तक 16 बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं। जिनमें से 7 बार जीत कांग्रेस के हाथ जीत मिली, जबकि बीजेपी को 4 बार वहीं बसपा यहां से 2 बार जीत का चुकी है। इसके साथ ही एक बार सपा, एक बार जनता दल और लोकदल को जीत मिल चुकी है।
जानें इस सीट पर कब-किसका रहा वर्चस्व
- पहली बार 1952 में हुए लोकसभा चुनाव में यहां से कांग्रेस के मनुलाल द्विवेदी संसद पहुंचे थे।
- 1971 तक कांग्रेस लगातार पांच पार जीतने में कामयाब रही।
- कांग्रेस की जीत का सिलसिला 1977 में लोकदल ने रोका था।
- हमीरपुर लोकसभा सीट पर 1991 में विश्वनाथ शर्मा ने बीजेपी का कमल खिलाया था।
- जिसके बाद 1996-1998 कर गंगाचरण राजपूत (भाजपा) के जीत परचम लहराया।
- इसके बाद 1999 में बसपा के अशोक चंदेल यहां से जीतकर संसद पहुंचे, लेकिन 2004 में सपा ने राजनारायण भदौरिया को उतारकर जीत दर्ज की।
- पांच साल बाद 2009 में हुए आम चुनाव में बसपा ने फिर वापसी की और विजय बहादुर सिंह जीतने में कामयाब रहे।
- 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने मोदी लहर में जीत दर्ज की और यहां से कुंवर पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल सासंद बने।
जातीय जनगणना समीकरण
हमीरपुर के जातीय जनगणना की अगर बात करे, तो हमीरपुर लोकसभा सीट पर लगभग 82.79 % ग्रामीण और लगभग 17.21 % शहरी आबादी है। अनुसूचित जाति की आबादी इस सीट पर 22.63 % है। इसके अलावा राजपूत, मल्लाह और ब्राह्मण मतदाता यहां निर्णायक भूमिका में हैं। इसके अलावा यहां लगभग 8.26 % मुस्लिम मतदाता भी हैं। हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र के तहत पांच विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें से हमीरपुर, राठ, महोबा, चरखारी और तिंदवारी विधानसभा सीटें शामिल हैं। मौजूदा समय में पांचों सीटों पर बीजेपी का कब्जा है।
लोकसभा संसद सदस्य
1952 - मन्नूलाल द्विवेदी – (कांग्रेस)
1957 - मन्नूलाल द्विवेदी – (कांग्रेस)
1962 - मन्नूलाल द्विवेदी – (कांग्रेस)
1967 - स्वामी ब्रह्मानंद – (भाजपा)
1971 - स्वामी ब्रह्मानंद – (कांग्रेस)
1977 - तेजप्रताप सिंह – (बीकेडी)
1980 - डूंगर सिंह – (कांग्रेस)
1984 - स्वामी प्रसाद सिंह – (कांग्रेस)
1989 - गंगाचरण राजपूत – (जद)
1991 - विश्वनाथ शर्मा – (भाजपा)
1996 - गंगाचरण राजपूत – (भाजपा)
1998 - गंगाचरण राजपूत – (भाजपा)
1999 - अशोक सिंह चंदेल – (बसपा)
2004 - राजनारायण बुधौलिया – (सपा)
2009 - विजय बहादुर सिंह – (बसपा)
2014 - पुष्पेंद्र सिंह चंदेल – (भाजपा)
2019 - पुष्पेंद्र सिंह चंदेल – (भाजपा)
नेताओं के वादों के भरोसे रहा विकास
बुंदेलखंड का हिस्सा होने की वजह से हमीरपुर-महोबा-तिंदवारी लोकसभा क्षेत्र सियासी दलों के लिए हमेशा खास रहा। वहीं आजादी के बाद यह सीट 16 लोकसभा चुनावों में जीत मिली है। चुनाव में हर दल ने सूखा, अन्ना मवेशियों की समस्या से जूझते किसानों के साथ ही आमजन की दुखती रग पर हाथ रखकर हमदर्दी बटोरी। नेताओं के वादों के भरोसे यह क्षेत्र लहर के साथ सियासी सफर करता रहा। लहर के साथ चलने का खामियाजा यहां के लोगों को भुगतना भी पड़ा और प्रमुख मुद्दे दबे रहे गए। क्षेत्र की सबसे बड़ी विडंबना है कि यहां नेताओं ने विकास के ख्वाब दिखाए लेकिन वह ख्वाब कभी हकीकत का धरातल न छू सके।