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UCC: उत्तराखंड में UCC बिल पेश, हिन्दू- मुस्लिम के लिए एक जैसे शादी, तलाक, देखें नियम


उत्तराखंड पहला ऐसा भारतीय राज्य होगा, जहाँ UCC यानि की (Uniform Civil Code) लागू किया जाएगा...


UCC : उत्तराखंड पहला ऐसा भारतीय राज्य होगा, जहाँ UCC यानि की (Uniform Civil Code) लागू किया जाएगा। अभी तक देश में केवल गोवा में ही UCC लागू था जो कि पुर्तगालियों के दौर से चला आ रहा है। वहीं उत्तराखंड के इस UCC कानून का ड्राफ्ट एक 5 सदस्यीय पैनल द्वारा बनाया गया था और इसे 2 फरवरी को उत्तराखंड सरकार को सौंपा गया था। इसके बाद 4 फरवरी, 2024 को इसको कैबिनेट की मंजूरी भी मिल गई थी। बतादे कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून में राज्य विधानसभा में समान नागरिक संहिता उत्तराखंड 2024 विधेयक पेश किया। इस दौरान राज्य विधानसभा में विधायकों ने जय श्री राम के नारे भी लगाए।
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जानें UCC के नियम कानून

आपको बताते चले कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून में राज्य विधानसभा में मंगलवार को समान नागरिक संहिता उत्तराखंड 2024 विधेयक पेश किया। अब राज्यपाल से मंजूरी मिलने के बाद विधेयक कानून बन जाएगा। समान नागरिक संहिता विधेयक पास होने के बाद कानून बन जाएगा। यह कानून उत्तराखंड विधानसभा में आज समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक पेश किया गया।
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इस विधेयक उत्तराखंड में सभी नागरिकों के लिए उनके धर्म की परवाह किए बिना एक समान विवाह, तलाक, भूमि, संपत्ति और विरासत कानूनों का प्रस्ताव है। यूसीसी विधेयक में यह भी कहा गया है कि अगर कोई लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहा है तो उसका रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है। रजिस्ट्रेशन नहीं होने पर छह महीने की जेल हो सकती है। विधेयक में प्रस्ताव है कि जो कोई भी राज्य के भीतर लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहा है, चाहे वह उत्तराखंड का निवासी हो या नहीं, उसे अपने लिव-इन रिलेशनशिप का विवरण प्रशासन के समस्त पेश करना होगा। लिव-इन रिलेशनशिप का विवरण संबंधित रजिस्ट्रार दफ्तर में देना अनिवार्य होगा।

बहुविवाह पर लगेगी रोक

कुछ कानून में बहु विवाह करने की छूट है। चूंकि हिंदू, ईसाई और पारसी के लिए दूसरा विवाह अपराध है और सात वर्ष की सजा का प्रावधान है। जिसके चलते कुछ लोग दूसरा विवाह करने के लिए धर्म तक परिवर्तन कर लेते हैं। मगर समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के लागू होने के बाद बहुविवाह पर रोक लगेगी। बहुविवाह पर भी पूरी तरह से रोक लग जाएगी।
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शादी के लिए कानूनी उम्र होगी तय

जहां UCC लागू होने के बाद बहुविवाह पर रोक लग रही है तो वही विवाग के लिए न्यूनतम उम्र कहीं तय तो कहीं तय नहीं है। एक धर्म में छोटी उम्र में भी लड़कियों की शादी हो जाती है। जबकि वे शारीरिक व मानसिक रूप से परिपक्व नहीं होतीं। वहीं अन्य धर्मों में लड़कियों के 18 और लड़कों के लिए 21 वर्ष की उम्र विवाग के लिए लागू की गई है। मगर UCC कानून बनने के बाद युवतियों की शादी की कानूनी उम्र 21 साल तय हो जाएगी।

लिव इन रिलेशन में रहने वाले पर भी बना नियम 

बतादे कि UCC लागू होने पर लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों के लिए अब रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा। समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद उत्तराखंड में लिव इन रिलेशनशिप का वेब पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा। रजिस्ट्रेशन न कराने पर युगल को छह महीने का कारावास और 25 हजार का दंड या दोनों हो सकते हैं।
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फिर वो विवाहित जोड़ा उत्तराखंड का हो या बहार का रजिस्ट्रेशन फिर भी जरूरी रहेगा, वहीं रजिस्ट्रेशन करने के तौर पर जो रसीद युगल को मिलेगी उसी के आधार पर उन्हें किराए पर घर, हॉस्टल या पीजी मिल सकेगा। यूसीसी में लिव इन रिलेशनशिप को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है।

इसके मुताबिक, सिर्फ एक व्यस्क पुरुष व व्यस्क महिला ही लिव इन रिलेशनशिप में रह सकेंगे। वे पहले से विवाहित या किसी अन्य के साथ लिव इन रिलेशनशिप या प्रोहिबिटेड डिग्रीस ऑफ रिलेशनशिप में नहीं होने चाहिए। पंजीकरण कराने वाले युगल की सूचना रजिस्ट्रार को उनके माता-पिता या अभिभावक को देनी होगी।
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UCC के खिलाफ - सपा सांसद

समान नागरिक संहिता(UCC) उत्तराखंड 2024 विधेयक पर समाजवादी पार्टी के सांसद एसटी हसन ने कहा- "मुसलमानों को क़ुरान पाक ने जो हिदायतें दी हैं। अगर इसके ख़िलाफ कोई कानून बनता है, जैसे-हम 1400 साल से पैतृक संपत्ति में बेटी को हिस्सा दे रहे हैं, तो अगर इसके विरुद्ध कोई क़ानून बनता है तो हम उसे मानने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अगर हमारी शरियत के क़ाननू से दूसरों को कोई परेशानी नहीं है तो इन्हें क्यों है? ये कब तक हिंदू-मुसलमान करके ध्रुवीकरण करते रहेंगे।"

बंगाल में नहीं आएगा UCC- कांग्रेस सांसद

समान नागरिक संहिता(UCC) उत्तराखंड 2024 विधेयक पर तृणमूल कांग्रेस सांसद सौगत राय ने कहा- "भाजपा शासित राज्यों में वे UCC लागू कर सकते हैं, पश्चिम बंगाल में इसे लागू नहीं किया जाएगा। सांसद ने कहा कि ED सरकार का मुख्य हथियार है तो यह कर सकते हैं, लेकिन फिर भी वे किसी भी मामले को सिद्ध नहीं कर पाए हैं। 
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जानें क्या बोले विरोधी 

उत्तराखंड विधानसभा में पेश किए गए यूसीसी बिल पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के कार्यकारी सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि जहां तक ​​यूसीसी का सवाल है, हमारी राय है कि हर कानून में एकरूपता नहीं लाई जा सकती, और यदि आप किसी समुदाय को इस यूसीसी से छूट देते हैं, तो इसे समान कोड कैसे कहा जा सकता है? ऐसे किसी समान नागरिक संहिता की कोई आवश्यकता नहीं थी। मसौदा विधानसभा के समक्ष प्रस्तुत होने के बाद, हमारी कानूनी टीम इसका अध्ययन कर रही है और फिर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी। 

वहीं, AIUDF के अध्यक्ष और सांसद बदरुद्दीन अजमल ने कहा कि भारत एक रंग-बिरंगा बगीचा है। बगीचा कितना भी खूबसूरत क्यों न हो, अगर उसमें सिर्फ एक फूल है, तो आप उसे ज्यादा देर तक नहीं देख पाएंगे। भारत में सभी धर्मों, संस्कृति के लोग रहते हैं, ये हमारी सुंदरता है। अगर प्रकृति के खिलाफ कुछ भी किया जाता है, तो यह लंबे समय तक जारी नहीं रहेगा। जब सरकार विफल हो जाती है तो राज्य विधानसभाओं को कुछ चमकदार लाना पड़ता है। असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा भी समय-समय पर ऐसा करते हैं। ..वे पीएम मोदी को खुश करना चाहते हैं क्योंकि वे कुछ समय तक सीएम बने रहना चाहते हैं। इस बिल को कूड़ेदान में फेंक देना चाहिए।
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UCC लागू होने के बाद पुरुष किन महिलाओं और महिलाएँ किन पुरुषों से विवाह नहीं कर सकेंगी देंखे लिस्ट...

कोई भी पुरुष इन महिलाओं से विवाह नहीं कर सकेगा

कोई भी महिला इन पुरुषों से विवाह नहीं कर सकेगी
बहन

भाई

भांजीभांजा
भतीजी                                                                
 भतीजा
मौसी
चाचा/ताऊ
बुआ
चचेरा भाई
चचेरी बहन
फुफेरा भाई
फुफेरी बहन
मौसेरा भाई
मौसेरी बहन
ममेरा भाई
ममेरी बहन
नातिन का दामाद
माँ
पिता
सौतेली माँ
सौतेला पिता
नानी
दादा
सौतेली नानी
सौतेला दादा
परनानी
परदादा
सौतेली परनानी
सौतेला परदादा
माता की दादी
परनाना (पिता का नाना)
माता की दादी
सौतेला परनाना
दादी
नाना
सौतेली दादी
सौतेला नाना
पिता की नानी
परनाना
पिता की सौतेली नानी
सौतेला परनाना (माता का सौतेला परनाना)
पिता की परनानी
माता के दादा
पिता की सौतेली परनानी 
माता का सौतेला दादा
परदादी 
बेटा
सौतेली परदादी 
दामाद
बेटी 
पोता
बहू (विधवा)
बेटे का दामाद
नातिन 
नाती
पोती 
बेटी का दामाद
पोते की विधवा बहू
परपोता
परनातिन 
पोते का दामाद
परनाती की विधवा
बेटे का नाती
बेटी के पोते की विधवा
पोती का दामाद
बेटे की नातिन
बेटी का पोता
परपोती 
नाती का दामाद
परपोते की विधवा 
नातिन का बेटा
नाती की विधवा
माता का नाना
इन सभी रिश्तों में किए गए विवाह को UCC के अंतर्गत वैध रिश्ते नहीं माना जाएगा। गौरतलब है कि हिन्दू विवाह अधिनियम के तहत यह बंदिशें पहले से देश की बहुसंख्यक आबादी पर लागू थीं। मगर UCC लागू हो जाने के बाद अब यह उत्तराखंड के भीतर पूरी जनता पर लागू होंगी।
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वहीं इस कानून के बाद कई मामलों में सभी धर्मों को लेकर एक जैसे नियम हो जाएंगे, उनमें उत्तराधिकार के नियम-कानून भी शामिल हैं। समान नागरिक संहिता, उत्तराखंड, 2024 विधेयक में बेटे और बेटियों को पैतृक संपत्ति में बराबर हिस्सेदारी का प्रावधान किया गया है। राज्य सरकार दावेदारों के बीच संपत्ति के बंटवारे पर निर्णय लेने के लिए एक प्राधिकरण नियुक्त करेगी।

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