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लोकसभा चुनाव : उन्नाव सांसद साक्षी महाराज का जीवन और राजनीतिक सफरनामा

साक्षी महाराज ने शुरूआत भाजपा से की थीं और लोध समुदाय से आने वाले एक अन्य भाजपा नेता कल्याण सिंह और एक अन्य भाजपा नेता कलराज मिश्रा के साथ उनके घनिष्ठ संबंध थे। 1991 में लोकसभा के लिए मथुरा से चुने गए। 1996 और 1998 फर्रुखाबाद से, जहां लोधी बहुमत है। 1999 के आम चुनाव में, भाजपा द्वारा फर्रुखाबाद से टिकट नहीं दिए जाने के बाद उन्होंने समाजवादी पार्टी के लिए प्रचार किया।

लोकसभा चुनाव : उन्नाव सीट का इतिहास और राजनीतिक सफर

यूपी में 80 सीट है और हर सीट अलग अलग महत्व है, यूपी की 80 सीटे भारत की लोकसभा सीट में सबसे ज्यादा सीट मानी जाती हैं, वहीं आज हम आपको बताएंगे यूपी के उन्नाव सीट का इतिहास... यूपी का उन्नाव जिला पर जब फरवरी 1856 में अंग्रेजों ने कब्जा कर लिया था उसके बाद बनाया गया था। इसके पहले नवाबों के अधीन यह जिला अलग-अलग जिला और चकलाओं के बीच बंटा हुआ था। 1857-1858 के आजादी के संघर्ष के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी से ब्रिटिश क्राउन तक सत्ता का हस्तांतरण किया गया। जैसे ही आदेश बहाल किया गया था, नागरिक प्रशासन को जिले में फिर से स्थापित किया गया था जिसका नाम उन्नाव था।

लोकसभा चुनाव : बिछ गई बिसात, जानें कानपुर सांसद सत्यदेव पचौरी का राजनीतिक सफर

यूपी के कानपुर सीट का 80 सीटों में से एक सीट है जिसका अपना ही महत्व हैं, क्योंकि कानपुर को उधोग नगरी भी कहा जाता हैं वहीं अगर बात करें यहां के सांसद सत्यदेव पचौरी के जीवन की तो बताते चले सत्‍यदेव पचौरी भारत के यूपी के कानपुर जिले के सोलहवीं विधानसभा सभा में विधायक रहे। 2012 उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में इन्होंने उत्तर प्रदेश की गोविन्‍दनगर विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र (निर्वाचन संख्या-212)से चुनाव जीता। कानपुर संसदीय क्षेत्र से 2019 में सांसद चुने गए। कैबिनेट मंत्री सत्‍यदेव पचौरी का जन्म मध्य प्रदेश स्थित भिंड जिले के मिहोना ग्राम में ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनका जन्म 12 अगस्त 1947 को ब्राह्मण परिवार में हुआ था, बता करें उनकी शिक्षा की तो पचौरी ने वी.एस.एस. डी विश्विद्यालय से रसायन विज्ञान में एम.एस.सी की शिक्षा प्राप्त की है। इसके साथ ही उन्होंने कॉलेज के समय से ही छात्र अध्यक्ष के रूप में चुना गया, यही से उनका राजनीति में पर्दापण हुआ

लोकसभा चुनाव : उद्योग नगरी कानपुर का राजनीतिक सफर और इतिहास

यूपी की 80 सीटों में कानपुर सीट का बहुत ही महत्व हैं, कानपुर ज़िला में स्थित एक औद्योगिक महानगर है। यह नगर गंगा नदी के दक्षिण तट पर बसा हुआ है। कानपुर का मूल नाम 'कान्हपुर' था। कानपुर शहर की स्थापना सचेन्दी राज्य के राजा हिन्दू सिंह ने की थी, वहीं ये भी माना जाता हैं कि अवध के नवाबों में शासनकाल के अंतिम चरण में यह नगर पुराना कानपुर, पटकापुर, कुरसवाँ, जुही तथा सीसामऊ गाँवों के मिलने से बना था। वहीं यह भी मान्यता है कि पड़ोस के प्रदेश के साथ इस नगर का शासन भी कन्नौज तथा कालपी के शासकों के हाथों में रहा और बाद में मुसलमान शासकों के 1773 से 1801 तक अवध के नवाब अलमास अली का यहाँ शासन रहा।

लोकसभा चुनाव 2024 : जानें लोकसभा चुनाव का इतिहास, राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश

लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियां तोजी से शुरु हो चुकी हैं, लोकसभा संवैधानिक रूप से लोगों का सदन है साथ ही भारत की द्विसदनीय संसद का निचला सदन है, जिसमें उच्च सदन राज्य सभा है। वहीं लोकसभा चुनाव के मुखिया पद पर सभी की नजरें बनी हुई हैं, मगर देखना यह है कि कौन कितना दांव मारेगा यह तो अभी तय नहीं किया जा सकता हैं। आपको बताते चले लोकसभा के सदस्य अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक वयस्क सार्वभौमिक मताधिकार और एक सरल बहुमत प्रणाली द्वारा चुने जाते हैं

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