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सर्वोच्च न्यायालय का फैसला, UP मदरसों के लाखों छात्रों पर पड़ेगा असर


मदरसा एक्ट पर यह फैसला चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने सुनाया है, पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट का फैसला ठीक नहीं था।


UP Madarsa Board Act: उत्तर प्रदेश के मदरसों को लेकर सर्वोच्च अदालत ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें अदालत ने मदरसा एक्ट को संविधान के विरुद्ध बताया था। मदरसा एक्ट पर यह फैसला चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने सुनाया है, पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट का फैसला ठीक नहीं था। जिसके बाद से यूपी मदरसों में पढ़ने वाले लाखों छात्रों को बड़ी राहत मिली है। वहीं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का यूपी के 16000 से अधिक मदरसों में पढ़ने वाले 17 लाख छात्रों के भविष्य पर असर पड़ेगा।

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सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला

आपको बतादें कि उत्‍तर प्रदेश के मदरसा एक्‍ट पर मंगलवार यानी की आज सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया, शीर्ष अदालत ने उस UP मदरसा एक्‍ट को मान्यता दे दी, जिसे इलाहाबाद हाईकोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया था। इसके साथ ही कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसलो को खारिज करते हुए 2004 के उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम की वैधता बरकरार रखी और कहा- यह धर्मनिरपक्षेता के सिद्धांत का उल्लंघन नहीं करता, न्यायालय ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को खारिज किया, जिसमें उसने उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम को खारिज कर दिया था और राज्य से छात्रों को अन्य विद्यालयों में भर्ती करने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार मदरसों में क्वालिटी एजुकेशन के लिए रेगुलेट कर सकती है। बताते चले कि यह फैसला चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने सुनाया हैं।

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मदरसा एक्‍ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा

उत्‍तर प्रदेश के मदरसा एक्‍ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 2004 की वैधता बरकरार रखी है, कोर्ट ने एक्ट को संवैधानिक बताया है, जिसका फैसला मंगलवार को CJI की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने सुनाया। कोर्ट के इस फैसले का मतलब है कि यूपी में मदरसे चलते रहेंगे, छात्रों के भविष्य पर संकट नहीं है, यूपी में 13 हजार मदरसों में 17 लाख छात्र पढ़ते हैं। वहीं इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, यूपी मदरसा एक्ट मूल अधिकार का उल्लंघन नहीं है। मदरसा एक्ट संविधान के बेसिक स्ट्रक्चर का उल्लंघन नहीं है, शिक्षा गुणवत्ता नियम मदरसों के प्रशासन में हस्तक्षेप नहीं है, सिलेबस के साथ छात्रों का स्वास्थ्य भी जरूरी हैं।

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मदरसा एक्ट को लेकर योगी सरकार की राय

वहीं मदरसा एक्ट को लेकर योगी सरकार के मायने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने साफ करते हुए कोर्ट ने अपने आज के आदेश में कहा कि राज्य शिक्षा के मानकों को रेगुलेट कर सकता है, सरकार शिक्षा को नियमित कर कानून बना सकती हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा योगी सरकार पूरी तरह से एक्ट के खिलाफ नहीं थी, और इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपनी बात भी रखी थी।

इसके साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय को पूरे कानून को असंवैधानिक नहीं मानना ​​चाहिए था, एक्ट के सिर्फ उन प्रावधानों की समीक्षा होनी चाहिए जो मौलिक अधिकारों के खिलाफ है, एक्ट को पूरी तरह खारिज करना उचित नहीं है। वकील ने कहा- मदरसा एक्ट में बदलाव जरूर किए जा सकते हैं लेकिन इसे पूरी तरह रद्द करना ठीक नहीं था।

सरकार ने मानक पूरा करने वाले मदरसे यूपी बोर्ड, सीबीएसई या फिर आइसीएसई से मान्यता लेकर प्राथमिक या माध्यमिक विद्यालयों की तर्ज पर संचालित करने का आदेश जारी किया था, जो मदरसे मानक पूरा नहीं करते हैं, उन्हें किसी भी बोर्ड से मान्यता नहीं मिलेगी और इनका संचालन बंद हो जाएगा, इन मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों का दाखिला सरकारी बेसिक या माध्यमिक विद्यालयों में कराया जाएगा।

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मदरसा एक्‍ट पर SC का फैसला

  • UP मदरसा एक्‍ट संवैधानिक रूप से सही।
  • मदरसा एक्‍ट संविधान का उल्लंघन नहीं।
  • इलाहाबाद HC का फैसला सही नहीं था।
  • मदरसा बोर्ड डिग्री नहीं दे सकता।
  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह व्यवस्था देकर गलती की कि मूल ढांचे यानी धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन करने के कारण उत्तर प्रदेश मदरसा कानून को खारिज करना होगा।
  • उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम की विधायी योजना मदरसों में दी जा रही शिक्षा के स्तर के मानकीकरण के लिए है।
  • धार्मिक शिक्षा कोई समस्या नहीं है।
  • शिक्षा व्यापक आधार वाली हो।
  • आवश्यक विषयों को भी पढ़ाया जाए।
  • पूरे कानून को रद्द करना ठीक नहीं।
  • अल्पसंख्यकों के लिए अलग साइलो नहीं।
  • कई सालों की संस्कृति को खत्म नहीं किया जा सकता।

UP में मदरसों का आंकड़ा

  • रजिस्टर्ड मदरसे : 13,329
  • मदरसा शिक्षक : 33,689
  • गैर शिक्षण कर्मचारी : 13,239

सीजीआई ने क्या कहा

वहीं CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा- धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है, जियो और जीने दो। उन्होंने सवाल किया कि क्या आरटीई विशेष रूप से मदरसों पर लागू होता है या नहीं? उन्होंने कहा कि क्या भारत में हम कह सकते हैं कि शिक्षा के अर्थ में धार्मिक शिक्षा शामिल नहीं हो सकती? यह मूलतः एक धार्मिक देश है। CJI ने कहा कि क्या यह आपके राष्ट्रीय हित में है कि आप मदरसों को विनियमित करें। उन्होंने कहा कि आप इस तरह 700 साल के इतिहास को बर्बाद नहीं कर सकते। CJI ने कहा कि मान लीजिए कि हम हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हैं, फिर भी बच्चों के माता-पिता उन्हें मदरसा भेजेंगे।

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर लोगों की राय

वहीं कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा- जो मदरसा उत्तर प्रदेश की हुकूमत ने खुद बनाया था उसको कैसे अंसवैधानिक बताया जा सकता है, हाई कोर्ट के फैसले के बाद काफी मायूसी थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद लाखों की तादाद में स्टूडेंट और उनके घरवाले, टीचर स्टाफ सभी को राहत मिली, जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने भी मदरसा बोर्ड पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है।

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