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UPSC Exam की तैयारियों में समय बर्बाद कर रहें युवा, करियर को दे और मौके


सदस्य संजीव सान्‍याल ने UPSC एग्‍जाम के यूवाओं में बढ़ते क्रेज को देखते हुए कहा- "ज्‍यादातर युवा सिविल सर्विसेज को डिफॉल्‍ट करियर ऑप्‍शन की तरह


UPSC Exam : यूपीएससी UPSC Exam का क्रेज आजकल की जनरेशन से लेकर बड़ी जनरेशन तक सब में देखा गया है। यह क्रेज इतना ज्यादा अब छा गया है कि युवा करियर के दूसरे पर फोकस करना छोड़ कर सिर्फ UPSC पर ही फोकस करते है जिससे लाइफ में आगे बढ़ने का और भी मौका खो देते है और कैरियर के दूसरे ऑप्शन पर ध्यान नहीं देते है साथ ही UPSC की कठिन तैयारियों में समय बर्बाद करते है। 


करियर की सही दिशा युवा करें तय

ऐसे ही यूपीएससी एग्‍जाम के क्रेज दिवाने यूवाओं के लिए संजीव सान्यान ने बड़ा बयान जारी किया है, बतादे कि इकनॉमिस्‍ट और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्‍याल ने UPSC एग्‍जाम के यूवाओं में बढ़ते क्रेज को देखते हुए कहा- "ज्‍यादातर युवा सिविल सर्विसेज को डिफॉल्‍ट करियर ऑप्‍शन की तरह देखते हैं। दूसरे कई करियर ऑप्‍शन के बारे में विचार किए बगैर बहुत सारे युवा इसमें समय और प्रयास बर्बाद करते हैं।

उन्‍होंने यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग) परीक्षाओं को लेकर इस तरह के क्रेज पर चिंता जाहिर की है। उनका मानना है कि ये परीक्षाएं सिविल सर्वेंट्स के चयन के लिए जरूर महत्वपूर्ण हैं। लेकिन, कई युवा वैकल्पिक रास्तों पर विचार किए बिना इनमें समय और प्रयास लगाते हैं।" हालांकि सान्याल के मुताबिक, यूपीएससी एग्‍जाम देने के बारे में केवल उन लोगों को सोचना चाहिए जो वाकई में एडमिनिस्‍ट्रेटर बनने में दिलचस्‍पी रखते हैं।



वहीं चर्चा के दौरान संजीव सान्याल ने यह भी बताया था कि दशकों से पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे क्षेत्रों में लोगों की आकांक्षाएं सीमित थीं। वे सिर्फ बुद्धिजीवी, नेता या स्थानीय राजनेता जैसी भूमिकाओं तक के बारे में सोचते थे। यह सिमटी हुई सोच अक्सर लोगों को अलग-अलग तरह के अवसरों के बजाय डिफॉल्‍ट विकल्प के रूप में सिविल सेवाओं में करियर बनाने की ओर ले जाती है।

युवा लाइफ में और देंखे ऑप्शन

उन्‍होंने कहा, 'हर देश को ब्‍यूरोक्रेसी की जरूरत है। यह बिल्कुल ठीक है। लेकिन, मुझे लगता है कि लाखों लोग एक परीक्षा पास करने की कोशिश में अपने बेहतरीन साल निकाले दे रहे हैं। जबकि वास्तव में वहां कुछ हजार लोगों की छोटी संख्या की ही जरूरत है।' सान्याल बोले कि अगर वे वही ऊर्जा कुछ और करने में लगाते हैं तो हम ज्‍यादा ओलिंपिक गोल्‍ड मेडल जीतेंगे। बेहतर फिल्में बनते देखेंगे। बेहतर डॉक्टर देखेंगे। ज्‍यादा उद्यमी और वैज्ञानिक सामने आएंगे।

सान्‍याल ने युवाओं से क्‍या की है अपील?


सान्याल ने युवा भारतीयों से अपील की कि उन्‍हें अन्य क्षेत्रों में अपने जुनून और संभावित योगदान के बारे में विचार करना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि जोखिम लेने और उद्यमिता के प्रति सामाजिक नजरिये को बदलने की जरूरत है। इकनॉमिस्‍ट ने मध्यवर्गीय लोगों की मानसिकता में सकारात्मक बदलाव दिखने की बात कही जिसमें ज्‍यादा लोग जोखिम लेने और वेंचर शुरू करने के इच्छुक हैं। यह नजरिये में बदलाव है। नजरिये में यह बदलाव हर चीज में दिखेगा। साइंस, म्‍यूजिक से लेकर लिट्रेचर तक यह दिखाई देगा। इसके कारण हर तरह के इनोवेशन होंगे।

सिविल सेवाओं को लेकर धारणा 

वहीं यूपीएससी को लेकर मेंटर और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर लिखने वाले दीपांशु सिंह संजीव सान्याल ने भी सहमति जताई। उन्होंने ने इस दौरान अपने एक्स (X) में लिखा-  सिविल सेवाओं को लेकर धारणाएं जो हैं उनसे वास्तविकता काफी अलग है। वहीं अर्थशास्त्र के जानकार और रियल स्टेट पर नजर रखने वाले विशाल भार्गव ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा- "असहमत. यूपीएससी कई लोगों के लिए एक सपना है। किसी दूसरी नौकरी के जरिए क्या आपके पास इतनी शक्ति और इतनी कम जवाबदेही है? अधिकांश नौकरशाह छोटा व्यवसाय चलाने में सक्षम नहीं होंगे, दुनिया को बदलने की बात तो दूर की बात है। 
वह आगे कहते हैं- यदि आपको सपना ही देखना ही है, तो आपको एलन मस्क या मुकेश अंबानी बनने का सपना देखना चाहिए, आप संयुक्त सचिव बनने का सपना क्यों देखते हैं? 

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